“बाबा का महत्व में पुस्तक में ही पड़ा। अभी सच्ची में देखा”…Audio



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Those who chant my name repetedly, I will protect them always...Sai Baba



Translation, Typing & Voice Support by: Mrs. T. V Madhavi


“ॐ साईराम” सभी साई भक्तोंको।

आज से हम रमादेवी जीवन मे बाबा का कथाएं सुनेंगे उन्ही का बातोमे।

मेरा नाम रमादेवी है। हम लोग जनम से चेन्नई में रेहेगाय लगबग।

मेरी शादी होनेका बाद जॉब के वझेसे मुझे दिल्ली आनापडा।

हमारा परिवार पेहेले से सम्प्रदाय का परिवार है। घर मे हर कोई भगवान का भक्त है।

घर मे सब समय पूजा,पाट होनेके कारण,मुझे बचपन से आदत होगया है।

में हनुमान चालीसा 108 बार पड़ती थी।में देवी, देवता को भी बहुत पूजा करथि थी।

मेरी भाभी बाबा का बहुत भक्त था।एक बार मे बाभी का घर गयाथा थो ओ मुझे एक साई चरित्र बुक दिया” बोला, बहुत अच्छा बुक है, पड़ना” बोली।

में “हा, ठीक है पडूंगा, बोलके के मेरा बैग में राखड़िया।

एसा दो साल बीत गया। एक दिन बाबा मेरा स्वप्न में आया “पूरा माथा में कपड़ा पैनाथा, बोला, “ओ बुक लाया, कब से, पड़ेगा नई” पूछा।

में उटनेकाबद याद आया, ओ साई बाबा ही है

में एक गुरुवार को पारायण शुरू किया।थोड़ा,थोड़ा पड़ता था तो, बहुत दिन लगा खतम होनेकेलिया।

ओ पारायण खतम होने का पहला दिन रात को, मेरा पेट मे कौनसा एक हाथ, इधर से उधर घुमाया।मेरा पति थो बहुत दूर में सोया है। कौन किआ?

मुझे लगा,बाबा ही एसा किया। अपना स्पर्श का अनुभूति मुझे दिया। बहुत आनंद लगा।मुझे।

तब मुझे लगा, बाबा का सप्तहाः पारायण करेगा। एक गुरुवार को सुभे उठा,नहाया, बाबा का सत चरित्र का पारायण शुरू किया।

बाबा को चंदन से अभिषेक भी किया।सब दिन बाबा को प्रसाद छेड़ता था। एक सप्ताह खतम हुआ।

एसा कबि, कभि, करते, करते 8 बार होगया।

बाबा फिर स्वप्न में आया, बोला “एक सौ बार संतचरित्र पारायण करो” बोला

में सोचा, हनुमान चालीसा में 108 बार करथा हु ना। इसीलिए साई चरित्र भी 108 बार करने केलिए बोला बाबा।

में थोड़ा रुक, रुक के 108 बार खतम किया।

हमारा घर का पास रोज एक कुत्ता आता था। में उसको खाना देता था। कुछ दिन का बाद उसको 5 ओर 6 बच्चे हुआ। ओ सब बहुत सुंदर था।में सब के बांट दिया था।

ओ फिर बच्चे किया। कितना बार बांटता रहूंगी। इसीलिए में ओ कुत्ता को होसपेटल ले जाके बच्चे नई होनेका आपरेशन कराया।तब से उसको कुछ इन्फेक्शन हुआ।

तो पूरा झडगया। पतला होगया।मुझेलगा ये नई बचेगी।में एक बुक में थायथ का बारेमे पढ़ाता। में उसको एक थायथु भी लगायाथा।उसमे बाबा का उदी, गंधम, अक्षिणतालु, बाबा का फूल,सब मिलाके थायथु बनाया।मुझे लगा, ओ घूमने जानेसे दूसरा कुत्ता लोग उसको निकालडेगा। फिर भी बाबा का ऊपर विस्वास करके में थायत लगाया।

कुची दिन में ओ पूरा ठीक होगया।।

बाबा का महात्व में पुस्तक में पड़ता। किन्तु सची में अभी देखा।

“सर्वम साई नाथरपन मस्तु”

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One comment on ““बाबा का महत्व में पुस्तक में ही पड़ा। अभी सच्ची में देखा”…Audio

Susmita sadual

Jay shree sai 🙏🙏

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