“तुम बाबा से ही प्रार्थना करो,वही तुम्हारा मदत करेगा।”….Audio



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Those who chant my name repetedly, I will protect them always...Sai Baba



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“ॐ साई राम” सभी साई भक्तोंको।

आज हम जोशना जी का जीवन मे बाबा का आगमन कैसा हुआ, बाबा उनका साथ क्या, क्या लीला किया, सुनेंगे, उन्ही का बातोमे।

मेरी नाम जोशना है। हम कर्नूल में रहने वाले है। हमारा पास खेती बाड़ी है।

मेरा पति M B A, L L B  पडाय किया है। किन्तु उनको खेती में काम करना बहुत पसंद है। उसमे हम को कामायी बहुत कम था।

हम इसीलिए बच्चोंको लेके हैदराबद चेलागया। बच्चोंको पढ़ाना भी जरूरी है।

इधर आनेका बाद, नॉकरी केलिए बहुत कोशिश  किया।किन्तु एक भी अच्छा नॉकरी नई मिला।

नॉकरी चोटा, छोटा, मिलता था, परन्तु अच्छी नॉकरी नई मिला। इसीलिए मेरा पति एक जोतिष का पास गया।उनको पूछा, “मुझे नॉकरी मिलेगा की नई? मिलनेसे कब मिलेगा?” पूछा।

थो ओ इनका जातक देखे बोला कि “गुरु ग्रह बहुत कमजोर है, आप कोई एक को गुरु बनाके उसका आश्रय में, जाईये, आप का हर इच्छा पूरा होगा” बोला।

ओ बात सुनके, मेरा पति घर का पास एक बाबा का मंदिर था।वहां जाना शुरू किया।

अभी हर गुरुवार को बाबा का मंदिर जाता है।

इसतरह हम को बाबा का परिचय हुआ। तब तक हम तिरुपति बालाजी, शिवा, हनुमान मंदिर जाता था।

उसका कुची दिन का बाद मेरा पति को नोकारी  मिला।

चार साल से हम शिरडी जाने केलिए सोच रहाहै, नई जा पाता है।कुछ न कुछ समस्या आके पहुंच था है। कैसा जाना है, ये भी हमे पता नई। बच्चोंका पडाय, उनका परीक्षा के वझे से भी हम जा नई पाता था।

इसबार जैसा भी शिरडी जानेका तैयारी किया। किसीको साथ मे लेके जाएगा, सोचरहा था।

मेरा पति का आफिस में एक आदमी काम करथा है, उसका नाम साई मल्लिकार्जुन। ओ बहुत बार शिरडी गयाथा।मेरा पति उनसे मिलने गया था।उनको पूछा, शिरडी कैसा जाना है? कहा उतरना है? कहा रहना है? बहुत प्रष्न पूछा।

“हम आजकल जानेका है। हम लोग साल में आठ बार कमसेकम जाता है। आप बोलो, कब जाना है, साथ मिलके जाएंगे” बोला। ओ टिकट बुक भी करदिया।

मेरा पति घर मे आके बोला, हम शिरडी जारहा है, फलाना तारिक में बोला।

मेरा बेटा इंटर पडरहा है, ओ कुछ नई बोला, मेरी बेटी 9th क्लास में पडरही है, ओ जानेकेलिए बिल्कुल तैयार नई है। ओ  बहुत चिल्लाना शुरू किया। “में नई जाएगा, उसी डेट में मेरा परीक्षा है, में परीक्षा नई देनेसे मुझे मैडम मार्क नई देगा, में सब से पीछे होजायेगा, दूसरा सेक्शन में मुझे डालेगा।” बहुत कुछ बोलने लगा।

मेरा पति बोला, “तुम परीक्ष बाद में, देना, में तुम्हारा टीचर से बात करेगा, किन्तु टिकट में बदलेगा नई, हम शिरडी जरूर जाएगा” बोला।

अभी शिरडी जानेका दस दिन है, बेटी रोज स्कूल से आके, परेशान करती है। में भी एक दिन मेरा पति को बोला “टिकट तारिक बदल दो ना, ओ रोराहीही,” बोला।

मेरा पति मना किया।में बेटी को बोला कि “तुम बाबा को बोलो, तुम्हारा परीक्षा का डेट बदलडेगा” ओ रोज बाबा का सामने बोलरहीहै।

बस,हम जानेका दिन आगया। में, मेरी बेटी बहुत धुक करते निकला।

बस, ट्रैन आगया। हम सब ट्रैन छेडगया। हमारा साथ साई मल्लिकार्जुन,और एक आदमी, उनका बछा सब मिलके ट्रैन में बैठ गया।

में नया जगा जारही हु, सोचके नया चेप्पल खरीदा। में ट्रेन छोडनेका समय मेरा चेप्पल एक प्लेटफार्म का, ट्रैन का बीच मे रेहेगया।

मे ले नई पाया।मेरा पति बोला, “दूसरा चेप्पल भी फेक दो, कोई लेगा तो दोनों चेप्पल लेगा” में एसा नई किया।मन मे सोचा “बाबा, तुम को देखने हम आरहा है, तुम कैसे परीक्षा में रखा”?

हम ट्रैन में बैठ गया। एक लड़का सोलाह साल होगा, एक बड़ा पैकेट में चिप्स लेके आया। मुझे लगा कि ये मुझे सहाय करेगा। में उसको बोला “मेरा चेप्पल नीचे गिरगाया, थोड़ा निकालके लादो ना”

ओ गया लाने केलिए। मेरा पति मुझे गाली देरहा है, “उसको क्यों भेजा, यदि ट्रैन निकला थो, बिचारा गिरजायेगा, चेप्पल केलिए दूसरा को इतना कस्ट देना जरूरी है क्या”

ओ लड़का तुरंत आगया हाथ मे एक लाठी लेके।ओ लाठी का सहायता से मेरा चेप्पल निकाला।

मेरा पति पेहेले से बोला कि “यदि ओ लड़का चेप्पल लाएगा थो उसको पचास रुपय्या देना”

में दिया, किन्तु ओ लिया नई, चेला गया। मुझे लगा ओ लड़का बाबा ही है, में शिरडी जानेकेलिए इच्छा नई थो, इसीलिए ओ बोलरहा है कि, में तुम लोगोंका साथ हु। चेप्पल गिराया बाबा ने, फिर दिलाया भी, बाबा ने। दूसरा दिन हम शिरडी पहुंचा।

“हम शिरडी में साई मल्लिकार्जुन जी का मौसी,मौसा,और उनका दोस्त सब से मुलाक़ात हुआ।फिर वहा पर, लक्ष्मी,नरसिम्हाराव जी(जो ये पुस्तक लिखा है) सब से हमारा मुलाकात हुआ।

हम सब मिलके वहा शनि शिंगणापुर देख के आया। वहा से आके बाबा का दर्शन किया।

दूसरा दिन हम नो लोग मिलके एक गाड़ी लेके बड़ा में, जामनेर गया।उसदिन 31-7-2016.था।

सच्ची में हमारा पहला बाबा का दर्शन में लक्ष्मी नरसिम्हाराव जी का साथ परिचय हुआ।

ओ लोग शिरडी आता है, किन्तु कहा नई जाता है। पेहेले बार हमारा साथ जामनेर आया।

मुझे जामनेर का बारे में कुछ भी पता नई। में कभी साई चरित्र पड़ा नई।

हम सब वहा जाने केलिए तैयार होगया। जामनेर में हम खाने केलिए भी उमा महेष्वर जी, हेमा जी सब्जी सब रूम में ही तैयार करके आया।

भद्रा मारुति, मिनी ताजमहल, गृनेस्वर दर्शन करके हम जामनेर केलिए निकल गया।

“सर्वम साई नाथरपन मस्तु”

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