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Those who chant my name repetedly, I will protect them always...Sai Baba
Translation, Typing and Voice support by: Mrs. Madhavi
“ॐ साईराम” सभी साई भक्तोंको।
अभी हम जादव जी का जीवन मे बाबा का आगमन सुनेंगे उन्हीका बातोमे।
मेरा नाम जादव है। में कोपरगाँव में रहता हूं।
में शिरडी में साई द्वारकामाई भवन में पर्यवेक्षक काम करथा हु।में बचपन से बहुत कस्ट उठाते आया हु।
जब में स्कूल में पडाय करथा था, कभी स्कूल छुट्टी होनेसे में कूली काम करने जाता था।मुझे दिन को पांच रुपए मिलता था।
हमारा एक होटल था।ओ अच्छा नई चेलथा था।इसीलिए मुझे काम करना पड़ता था।होटल में चाय बनाके देनेसे, में बिखरी करके आता था।एसा ही में दसमा कक्षा पास हुआ।इंटरमीडिएट में जॉइन किया।किन्तु मेरा पास अच्छा कपड़ा नई था कॉलेज जाने केलिए। एकी जोड़ा कपड़ा था।कॉलेज जानाहे,कपड़ा नई है। हमारा मालिक का बेटा एक ड्रेस पुराना वाला दिया मुझे।
ओ दो ड्रेस में मेरा इंटर खतम किया। किन्तु में पास नई हुआ।फिर परीक्षा देने केलिए, पैसा नई था। इसीलिए नई पडपाया।
मेरा भैया को एक दुकान था।वहा सनी, रवि, सोम वार में दुकान, बाजार भेट था था।वो जागा को में पानी से धोके साफा रखता था।
एक बार मे, मेरा दोस्त का साथ B S Fजवान साक्षातकार (interview) केलिए गयाथा। ओ लोग मेरा दोस्त को नॉकरी नई दिया।किन्तु मुझे दिया।
दो मास का बाद पत्र भेजेगा बोला।पत्र आगया।मुझे इंदौर प्रशिक्षण केलिए भेजा।वहा में एक सप्तहाः रहा।वहा का पानी मुझे अच्छा नई लगा।थो इसीलिए में वापस आगया।
फिर पुणे गया।वहा मेरी दीदी रहथि है।दीदी,जीजाजी बोला, “काम मिलनेसे करो। नई थो आराम से घर मे बैटो।”
किन्तु मुझे एक कार्यशाला में काम मिला।दिन को आठ रूपाय देता है।
उसका बाद, बजाज ऑटो, टेम्पो जैसा बहुत कंपनी में काम किया।
उसका बाद मेरा भैया आके बोला कि “कोपरगाँव में” संजीविनी शुगर फैक्ट्री “खोलरहा है, हम दोनों चाय का दुकान खोलेगा” बोला।
पूना में आठ-दस साल काम किया, फिर कोपेरगाव चेला आया,फिर दुकान खोला।1993 में मेरा शादी भी हुआ।
1997 में मुझे एक बेटी हुई। फिर मेरा भाई बोला कि “तुम थोड़ा पैसा दो, दुकान तेरा नाम पर रखेगा” बोला।
में सच समझ के मेरी पत्नी का जेवर सब भिख़िरी करके 25,000 देदिया।किन्तु मेरा भैया मुझे न दुकान दिया, न पैसा। कुछ भी नई दिया।
पैसा सब ओ खर्च करदिया।10 लिटर चाय भिख़िरी होता था। अभी आधा लीटर भिखरी होता है।
मुझे बहुत नस्ट हुआ। तब में सब गुरुवार को शिरडी चेल, चेल के जाता था।आनेका समय किसीका साथ गाड़ी में चेले आता था।
समाधि मंदिर को परिक्रमा करथा था।बाबा से विनम्र निवेदन करथा था कि, “जैसा भी हो मुझे, तुम्हारा पास बुलाना बाबा” ।
उसका बाद मुझे साई भवन में नॉकरी मिला।
नॉकरी कैसा मिला, सुनिए।
में समाधि मंदिर को परिक्रमा करके चावड़ी गया, बाबा से बोला “बाबा, दिन एसा ही बीत जाताहै, मुझे तुम्हारा पास नॉकरी कब मिलेगा बाबा”? में एसा प्रर्थना किया बाबा का फोटो का सामने नतमस्तक होके, तुरंत मेरा माथा में बाबा का फूल गिरा।में ओ फूल हाथ मे लिया, सोचा कि बाबा मुझको मंजूरी दिया नॉकरी देनेकेलिया।
एक दिन एक कागज मेरा पास आके गिरा।देखा तो शिरडी संस्थान का एक सदस्य अशोक कामबेकर उसका साथ मेरा दोस्त का फोटो है।
में आश्चर्य होगया।तब में बाबा से निवेदन किया कि” बाबा,तुम्हारा पास,दो समय,दो रोटी देखे,झाड़ू से साफा करनेका काम भी दो, में करेगा।एसा मन मे सोचा। कितना बार, में शिरडी, गया, आया, कभी मेरा दोस्त का याद नई आया।अभी कागज देखनेसे याद आरहा है।क्या माया बाबा।?
इसी समय जो दोस्त मेरा फ़ोटो में है, वही मेरा घर का सामनेसे साईकल में जारहा था। उसका नाम राजेन्द्र सतपथी है।
में उसको तुरंत बुलाया। बोला मुझे जैसाभि हो शिरडी में नॉकरी दिलाडो।
ओ फ़ोन करके साई भवन का अद्यक्ष को बताया।मुझे बोला दो मास का अंदर में तुम को साई भावन रूम बॉय का नॉकरी मिलसकथा है।
एक दिन, में, मेरा दोस्त चेल के शिरडी जा रहा था। सावुल विहार का पास एक बुड्डा आदमी मुझे पूछा बस स्टैंड कहा है? ओ आदमी महाराष्ट्र आदमी जैसा है, सफेद दाढ़ी रखा है। उसदिन गुरुवार था।पायर में चेप्पल भी नई था, बहुत ठंड लगर हा था।समय 4.30 होगा।
में बोला, यही बस स्टैंड है।
ओ मुझे पूछा आप लोग कहा जा रहा है? हम बोला, “शिरडी जारहा है”
शिरडी कैसा जाना है? पूछा।
में बोला गाड़ी में जायेगा।ओ बोला” में भी जाएगा तुम्हारा साथ” मे हा बोलके,उसको भी साथ मे लेके चेलना शुरू किया।
“इतना सुभे, इतना टांडा में, पायर को चेप्पल भी नई, कैसा इतना दूर आप लोग चेलगा?” बोला ओ बुड्डा आदमी।में बोला” बाबा लेके जायेगा, फ़िर वापस लेके भी आएगा”
मेरा दोस्त थोड़ा दूर जानेका बाद बोला “थोड़ा चाय पीयेगा” थो ओ बुड्डा आदमी बोला,” मेरा पास पैसा नई” में बोला “पैसा में देगा” बोलके, हम थींन चाय पीया।
हम दत्त मंदिर तक आया, मतलब लेंडी बाघ आया, दत्त भगवान को हम थींन नमस्कार किया, में दोस्त को बोला” ई बुड्डा आदमी को आज हम बाबा का दर्सन कराएंगे” बोला। बस मेरा बाजू में देखा तो ओ आदमी गायब होगया। हम कितना खोजा,शिरडी सारा, ओ मिला नई। तब हमें लगा, ओ बाबा ही है,साथ मे आया, चाय पीया हमारा साथ, शिरडी आया साथ मे, अपना जागा में जाके बैट गया।
“सर्वम साई नाथरपन मस्तु”
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