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Translation, Typing & Voice support by: Mrs. T V Madhavi
“ॐ साई राम” सभी साई भक्तोंको। अभी आप लोग सत्यनारायण मूर्ती जी का जीवन मे बाबा का लीला का सुभारम्भ सुनेंगे ,उन्ही का बातोमे।
मेरा नाम सत्यनारायण मूर्ती है। हम नरसपुराम में रहने वाले है।
में जब घर से बाहर जाने निकलता हु वहा पर रास्ता में लाल रंग का मूर्ती एक था। में हर दिन वही रास्ता में जानेके कारण, ओ मूर्ती का पास जब पहुंथा था, मेरा शरीर मे एक कंपन होता था।
में जानेका समय रोज एक औरत ओ मूर्ती को पानी से साफ करना मेने बहुत बार देखा।सोचा, उनका पिताजी होगा।
ओ 1980 साल।में एक बार मेरा जीजा वेंकटेस्वरलू का पास गया कुछ काम केलिए। ओ मुझे बोला,बैटो।में बैटगया। ओ मुझे पूछा, तुम को “शिरडी साई बाबा” मालूम है? में बोला, “नई”
ओ बोला “बाबा बहुत बडा शक्ति है, ओ दैवस्वरूप है, उसका ऊपर विस्वास करो, तुम्हारा हर इच्छा पूरा होगा”
में बोला, “मुझे छोड़ो, मुझको जानाहे” बोलके निकल रहा था।ओ मुझे जोरजबरदस्ती एक बाबा का फोटो मेरा पॉकेट में रखा।तुरंत मेरा मन प्रशांत होगया।
में ओ फ़ोटो को बाहर निकालके देखा, में नई बथासक्ति, कितना आनंद मुझे मिला। बहुत ख़ुशी मिला मुझे।
थोड़ा ओर से देखा तो, में रास्ता में जो मूर्ति देखता हूं, वही फ़ोटो है ये।
तब मेरा अंदर में एक जिग्नास शुरू हुआ। “कौन है ये बाबा, अभी है कि नई है?यदि होगा तो कहा है? ये फोटो आनेका बाद इतना आनंद मुझे क्यों होरहा है?
उसी समय मे मेरा शादी हुआ। मेरी पत्नी बाबा का भक्त है।मेरा ससुराल का घर भिमवरं। वहा पर बाबा का मंदिर है।
थो जो बाबा को में रोज देखता था, ओ बाबा केलिए एक मंदिर बनाना चाहता था वहाका लोग।कुछ दिन में मंदिर बनगया।
में, मेरी पत्नी रोज ओ मंदिर जाते थे अरथी केलिए।एसा में बाबा का भक्त बनगया।
किन्तु में शिरडी जा नई पाया शायद बाबा का अगन नई है।
एक दिन में सोया था, एक स्वप्न देखा।स्वप्न में, में सब्जी लाने केलिए साईकल में गया, वहा एक दुकान में छाई पीरहा था। तब में एक आश्चर्य देखा।मेरा बैग का अंदर से एक बाबा का फोटो निकला, मुझे पुचरहहै की “चाय खाली तुम पीयेगा, मुझे देगा नई”
बस, मेरा नींद खतम हुआ। तब समय सुभे 4.15 हुआ था।में मेरी पत्नी को ए बात बताई।
उसदिन गुरुवार था। तब से हम रोज बाबा को जोभी खाना समर्पण करके ही, हम खाते है।
एक दिन में सोचरहा था कि “बाबा कैसा है,? अब क्या करहा है? बाबा का समाधि कैसा है। फ़ोटो में जैसा वैसाही है क्या?”
“बाबा जब समाधि हुआ, कौन रंग ड्रेस पैनाथा?” एसा अनेक आलोचना अथा था मन मे।
बाबा,तुम क्या करेगा,मुझे पता नई, में नई पूछा,तब भी तुम ने दर्सन दिया, यदि में तुम्हारा भक्त मानते हो तो, मेरा हर प्रस्न का समादन आज देदो, (मन मे सोचा, बाबा को में परेशासन करहा हु) सोचके में सोगाय।
उसदिन भी गुरुवार था।उसदिन भी एक स्वप्न में मेने देखा, उसमे,बाबा का बहुत बड़ा मंदिर, बाबा का बहुत बड़ा मूर्ती, एक बहुत बड़ा समाधि, ओ समाधि का बाय साइड एक बहुत बड़ा पीतल के दरवाजा, उसको खोलनेसे, बाबा का निज समाधि, ओ समाधी का पेटी में बाबा सफ़ेद कफनी पैनके, एक पायर का ऊपर दूसरा पायर रखे, अनंतहसायन में माहा विष्णु जैसा सोया, मुझे पुचरहा है कि “तुम्हारा संसय खतम हुआ,और कुछ देखना है”? एसा पूछा।
मेरा आंख से पानी रुख़था नई है।
में नीद से उठ के देखा, तब समझा कि मुझे बाब निज समाधि दर्सन कराया,और शिरडी भी दिखाया,मुझे लगा, “अभी में मरनेसे भी टीक है” जैसा लगा।
“सर्वम साईनाथरपन मस्तु”
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One comment on ““स्वप्न में निज समाधि दर्सन”….Audio”
Susmita sadual
August 28, 2020 at 7:43 amJay shree sai 🙏🙏🙏