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Those who chant my name repetedly, I will protect them always...Sai Baba
Voice support by: Mrs. Madhavi
“ॐ साई राम” सभी साई भक्तोंको।
में अभी राज्यलक्षी जी जीवन का बाबा का चमत्कार बोलने जारहीहु उन्ही का बातोमे सुनिए।
उसदिन में साई चरित्रा पारायण शुरूकिया।फिर जब खतम हुआ में दरवाजा खोलके बाहर आगयी थो श्रीदेवी का पिताजी वहा खड़ा था, बोला की” क्या ? बेटी, पारायण खतम हुआ ना? हा, तुम्हारा मुख में चमक ही बता रहा है “बोला हँसते हुए। कितना बार पारायण तुम करना चाहता है?” पूछा।
में बोली थींन पारायण करना चहाथी हु।
बस,चार दिन में ओ गुंटूर चेलागया।मेरी साई चरित्र पारायण भी थींन सप्तहाः खतम हुआ। सब को खाना खिलाना बाकी रेहेगाय था।
थो मुझे उसी दिन एक स्वप्न आया सुभे, सुभे।स्वप्न में मेरी नानी आया, उस समय ओ गाँव मे थी।ओ मुझे बहुत पसंद करती थी।
ओ स्वप्न में मुझे पूछी “तुम क्या करहा है? क्या, कुछ नया पूजा शुरू किया क्या?”
में बोली “हा नानी,साई चरित्रा पारायण शुरू किया,आज खतम हुआ,सब को खाना खिलाना है”
सब को खाना खिलाने केलिए केला का पत्ता डाली,खाना परोसी,मेरी नानी बोली, “अरे,पायस नई बनाया?क्या पूजा तुम करहा है?
जाओ,पायस बनाओ” बोली। फिर बोली “तुम तुम्हारा घर का भगवान को पूजा नई करहा है।क्यों? तुम्हारा पति अच्छा से कमाता है तो? कपड़ा भी दो सब को”।
“ठीक है नानी, आओ, खाना खाओ” बोली में। “नई,मुझे बहुत काम है, में जारहा हु, दक्षिना, ताम्बूलं भी सब को दो” बोलके चेलीगयीं। ये सारा मेरी स्वप्न था।
हम पहेला दिन खाना का और पूजा का सामान, श्रीदेवी, में मिलके बाजार जाके लाया था।
क्योंकि श्रीदेवी बोली, पारायण तुम करो, खाने का व्यवस्था में करूँगी बोली।
ये हमारा सब का आदत है। सुभे हुआ। पारायण पूरा हुआ।श्रीदेवी का देवर थीन लोगोंको खानेकेलिया भुलाया। ओ थीन लोग आया खाने केलिए। ओ लोग देखने केलिए पूरा दिव्यपुरुष जैसा था। मुझे बहुत खुशी हुआ उनको देख के।
ओ लोग जब खाना खारहाथा, एक टेलीग्राम आया मेरा घर गाँव से। ओ लोग बोला, “तुम जल्दी खाना खाओ”।
“अरे, तुम लोगोंको छोड़ के में कैसा खायेगा?”
थो मेरी पड़ोस लोग बोला की “अभी तुम रामचंद्रपुराम जानाहे,जल्दी खाओ”
में हैरान होगया सुनके। अभी रामचंद्रपुराम क्यों जाएगा? मेथो सब का साथ खुशी बांटना चहाथी हु आज का दिन।
तब ओ लोग बोला कि “तुम्हारी नानी का देहांत हुआ है, तुम को जाना है।”
ओ बात सुनके में तुरंत निकल गयी रामचंद्रपुराम केलिए।मुझे तब लगा कि ओ मुझे बहुत पसंद करती है, इसीलिए मेरी स्वप्न में आई है।
मेरी मन मे था कि हमे हैदराबाद बदली करके जानाहे, बोलके।इसीलिए में थींन बार साई चरित्र पारायण रखा था। एक बार पारायण खतम हुआ हमारा बदली हैदराबद को होगया। फिर भी थींन बार खतम करके ही हम हैदराबद चेला गया।
मेरी विस्वास बाबा का ऊपर बहुत दृढ़ होगया था। बुलानेसे बाबा तुरंत आएगा।
एक बार एसा लीला हुआ, की, मेरी देवर का बेटी केलिए शांति पूजा करना था।राजमंड्री का पास, राजा राम, एक जागा है वहा पर।हमारा रिस्थदार सब आगया।
सब कोई अपना, अपना सामान भी लेके चेलागया बाहर को।
में घर को थाला लगाके जाने वाली थी।देखनेसे,थाला,चावी कुछ भी नई मिला। में बहुत खोजा। अंत मे बोली कि, “आज नई जासक्ति में, घर का, चावी, थाला कुछ भी नई मिलरहा है, तुम लोग सब जाओ, में घर मे हु” बोली।
ओ लोग कोई मेरी बात सुना नई। “तुम को आना पड़ेगा, बोलके जिद्दी किया। तो में एसा ही घर बंद करके सब का साथ मिलके चेलीगयीं” बाबा, तुम्ही घर को देखभाल करना है मन मे बोलके गयी।
थींन दिन का बाद हम घर पहुंचा।देखा थो, घर जैसा कि वैसा ही है। कुछ भी सामान इधर, उधर हुआ नई।
बाद में देखा तो, चावी, थाला मेरा सोफा का नीचे मिला।विस्वास कीजिए, कितना बार, में उधर खोजाथा।मिला नई।
अब कैसा आगया? बाबा ही थाला, चावी रखा।मेरा घर को जाग के रहा थींन दिन।हम आनेका बाद सब मिलगया। बाबा का कृपा को में नतमस्तक होगया।बाद में फिर बाबा का पारायण किया।
“सर्वम साई नाथरपन मस्तु”
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