“आजकल का जामनेर लीला”…Audio



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Those who chant my name repetedly, I will protect them always...Sai Baba



Translation, Typing & Voice support by: Mrs. Madhavi


“ॐ साई राम” सभी साई भक्तोंको।
अभी हम जोसन जी का जीवन मे बाबा का दूसरा लीला सुनेंगे उन्ही का बातो में।

जामनेर में बाबा का अद्भुत लीला सभी साई भक्त जानता ही है। अभी हम सब जामनेर केलिए निकल पड़ा। हमे जामनेर लीला जहाँपर हुआ, ओ जगा देखनेका बहुत इच्छा था।

हम, S L नरसिम्हा राव, S लक्ष्मी, उमा महेष्वर राव, हेमा जी, जोशना, संदीप, साई मल्लिकार्जुना, लीला कृष्णा, और दो बच्चे, सब मिलके 11 लोग था।

जामनेर में जैसा अंदर में प्रवेश किया, नाना साहेब चन्दोरकर का बारेमे पूछा थो, किसीको पता नई, बोला। ओ कौन है? पुचरहा है
एक बूढ़ा आदमी बोला कि 110 साल पहले का कहानी कौन बोलेगा आप को? बोला।

तब भी हम “कोई बाबा का मंदिर होगा, मंदिर का लोग तो साई चरित्र पड़ा होगा,” सोच के बाबा का मंदिर कहापर है? पता है क्या? बोलके पूछना शुरू किया।

हम चार लोग से पूछा। ओ लोग बोला, इधर बाबा का मंदिर ही नई है, बोला। इधर गजानन महाराज का मंदिर है, उन्ही को बाबा बोलता है,वहा पूछना, बोलके एक आदमी बोला।

टीक है, वहा का पुजारी कुछ जरूर बोलेगा, सोच के ओ मंदिर गया।मंदिर बन्द था।

हमारा अंदर में दो लोग थोड़ा बाजार में पुचके आएगा, बोलके गया।

हम सब गजानन महाराज का मंदिर का पास खड़ा है।सोचरहा है कि,ओ पुजारी का घर इधर ही पास में होगा। वहाँपर कोई बच्चा लोग खेलरहा था। उनसे हम पूछा, मंदिर कितना बझे खोलेगा? पुजारी कहा रहता है?

ओ बच्चे बोल पुजारी गाँव मे नई है, कब आएगा, पता नई, आप लोग मंदिर जाएगा क्या? पूछा।

ओ बच्चे लोग चावी लाके ताला खोलड़िया।हम सब अंदर गया।

सब से पेहेले नरसिम्हा राव जी गया। वहाका पादुका को माथा टेकड़िया थो उनको बहुत रोमांचित हुआ।वहा पर बाबा का पादुका भी है। साईबाबा, साईबाबा करते, करते ओ बाबा का पादुका भी नमस्कार किया। वहां पर भी एसा ही लगा।

ओ सब को बुलाके बोला।वहा हम बाबा का मूर्ती भी देखा।सब कोई वहा का पादुका को नमस्कार किया। किसीको कुछ पता नई चेला, लक्ष्मीजी को खाली लगा एसा।

हमारा अंदर में दो आदमी बाजार में खोज ने गया ना, उनको एक आदमी मिला, ओ बोला” हा, ओ बाबा का लीला इधर ही हुआ था, एक आदमी है, उसका बारेमे जानता है, में आप लोगोंको वहा लेके जाता हूं, बोला।

हम सब ऑटो में चेलागया।

बहुत अंदर में, रास्ता पूरा गली, गली खोज के गया।

किन्तु,जो आदमी से हमे मिलना था, ओ घर मे नई है, कोई दुकान में है। बोला।

उनसे मिलाने केलिए हम सब दुकान गया।रास्ता में दही थोड़ा खरीदा।

ओ आदमी से दुकान में मिला।ओ बोला” हा, में जानता हूं, नाना साहेब का घर, पास में तहसीलदार का आफिस हे उसक सामने नानासाहेब का घर है, बोला।

ए सुनके हम सब का मुख मंडल में खुशी भर गया।

जैसा भी हो,हम नाना साहेब का घर पहुंच गया, जहाँ पर बाबा का जामनेर लीला हुआ था।

ऑटो वाला हम को नाना का घर का सामने छोड़ के चेलागया।वहा पर एक पुराना बंगला था।और एक छोटा सा कुटीर जैसा घर था।
हमे लग्रहथा,की वही होगा।देखनेसे ओ नई है।

ओ कुटीर को हम गया गेट खोल के।देखनेसे वहा बहुत बड़ा थाला लगा हुआ है।

मेरा साथ जो आदमी आया,ओ बोला, ए बंगला पोलिस का आधीन में है।पोलिस स्टेशन में इसका चावी मिलेगा।

हमारा अंदर में आदमी लोग दौड़ के गया, पुलिस स्टेशन।बाकी सब कोई गेट का पास खड़ा था।

पोलिसे स्टेशन में एक कानिस्टेबल मिला था।

ये लोग बोला कि “हम हैडरबाद से आया है, बाबा का दर्सन केलिए शिरडी, वहा से नाना साहेब का घर देखने जामनेर आया।उनका घर थो मिला है, किन्तु चावी नई मिला,थाला लगा हुआ है, बोला।चावी थोड़ा दीजिए, देख के चेलेजाएँगे।” बोला।

ये लोग एसा बात करहा था, वहा पर एक छोटासा बाबा का मूर्ती था। ओ देख के सब बहुत खुश हुआ।एसा लगा कि,” में तुम से पेहेले गया पहुंचेगा, बोलाना बाबा स्यामा को। एसा ही लगा।

ओ बंगला में एक पोलिसे इंस्पेक्टर रहता है, थो कानिस्टेबल फ़ोन किया,” सर्, आप का बंगला देखने केलिए शिरडी से लोग आयाहे, आप का इजाजत मांग रहा है, ओ लोग पोलिसे स्टेशन आगया,बोला।

थो ओ पुलिस इंस्पेक्टर बोला, “में दस मिनिट में आरहा हु” बोला।

देखनेसे ओ इंस्पेक्टर वही बंगलो में रहता है।

हम सोचा” ये क्या है,हम नाना साहब का बंगला देखने आया,ए आदमी अंदर से आरहा है?

हम नाना को देखा नई।खाली फ़ोटो में देखा है।ए आदमी सची नाना जैसा ही है।

ओ आदमी हमें अपना लोग जैसा अंदर लेके गया।हम बोला,” हमारा लोग पुलिस स्टेशन गया, अभी आजायेगा” बोला।

हमे ओ अंदर लेके गया, फिर थोड़ा रुका” बोला इधर बाबा थींन दिन रहा” बोलके एक लंबा जग दिखाया। फिर एक मंदिर जैसा जगा दिखाया। वहा द्वारकामाई बाबा मूर्ती रखा है।

हमे लगा, इधर भी बाबा का दर्सन हुआ, जैसा लगा।

अंदर में बहुत बड़ा हाल था।इसका अंदर में जोलोग पुलिस स्टेशन गया, ओ लोग आगया।

ओ इंस्पेक्टर का नाम है, नासिरुधिन शेक। ओ मुस्लिम होनेसे भी बाबा को ओ अच्छा से जानता है।

जामनेर लीला, ओ उमा महेष्वर राव जी को सुनाराहाथा।हम सब सुनाराहाथा जैसा हमे कुछ मालूम नई।

उनका पत्नी भी बाहर आगयी।कहासे आया? पूछी।

हम बोला “शिरडी से आया,दो घंटा से घर खोज रहा है,” बोला।

ओ हमे चाय, पानी दिया, बाथरूम सब दिखाया। हम सब हाथ मू दोया वहा पर।

पोलिसे स्टेशन में बाबा मूर्ती का बारेमे हम पूछा।

ओ बोला “चार साल पहले में वहा काम करथा था। एक मूर्ती रखने का इच्छा था।रखा, किन्तु सब कोई मना किया, बहुत हंगामा किया, तब भी में सुना नई, राखड़िया मूर्ती” बोलके सब कहानी बताया।

जो पुलिस स्टेशन नई गया, हम सब भी जाके, बाबा को देख के, दर्शन करके आया।

“बाबा पुलिस स्टेशन में है बोलके, कभी इधर कोई केस नई अथाहै, बहुत शांति से रहता है,” बोला

उसका बाद घर सारा दिखाया।उसी समय का घर था। कोई बदलाव नई हुआ।

अंदर में टेबल रूम है। वहा बाबा का फोटो रखा है।

ओ लोग दीप भी जलाया।उनको दीप जलाना बहुत पसंद है। ओ लोग भी कभी, कभी हैडरबाद आता है। बोला।

मैनाताई जो रूम में प्रसव हुआ, ओ रूम दिखाया। किन्तु लक्ष्मी जी को दूसरा रूम जैसा लगा।

हमारा बीच मे दोस्ति होगया था। किन्तु भाषा बहुत समस्या होगया।हम को हिंदी नई आथा है ना।

ओ हमे बाहर में एक गाछ दिखाया, बोला” बाबा का गोंडा गाड़ी ई गाछ का नीचे खड़ा था।बोला, बाबा थींन दिन उधर रूखा था।

हम पूछा “मैनाताई लीला में, बाबा नई आयथा ना? तो ओ बोला, नई बाद में आया”।

“ओ कोई बुक में नई लिखा है”। बोली।

उनका घर मे तुलसी गाछ भी है।तो हम पूछा, आप तो मुसलमान है, तुलसी क्यों रखा? ओ बोली “उनका पति को बहुत पसंद है, तुलसी गाछ घर मे रहने से शांति रहता है,हम हिदु को भी बहुत पसंद करथा है,” बोली।

हम पूछा, इधर कोई कुछ होटल है क्या? हम सब्जी लाया, खाली भात चाहिए था” बोला में।

ओ आदमी बोला, अभी तक आपलोग खाना नई खाया, भात हमारा घर मे ही बनाइये, बोला।

ओ मुस्लिम हेना, इसीलिए हमे खुद बनाने केलिए बोला।हम बोला, हम दस लोग है, बहुत बड़ा बरतन चाहिए, कैसा करेगा?

ओ मुझे चावल दिया, और एक बड़ा बरतन दिखाया, वो भी उसी दिन खरीदा था। पूरा नया

देखा, शायद आप केलिए ही आज खरीद, नई थो हम दो जन केलिए बहुत कुछ है,बाबा का इच्छा, आप केलिए खरीदा, शायद।बोलके दो बड़ा बरतन दिया।

हम सब मिलके चावल बनाया।हम पैक करके लेना चाहता था।किन्तु ओ आदमी हमरेलिया पैकिंग कराया।

ओ इंस्पेक्टर का दीदी शिरडी पिप्पलवादी में एक मस्जिद का सामने रहथि है बोला। ओ मस्जिद को बाबा कभी,कभी आथ था बोला।
फिर बोला, ये लोग नांदेड़ में भी था चोटा समय मे।

ओ शिरडी जाता था उसका बेहेन को घर लानेकेलिए।उसका बेहेन का सास बाबा को जानती थी।बाबा जब नया, शिरडी में आया, बच्चे लोग बाबा को पत्थर से मरथा था, ओ सब उनका सास देखाता।बोला।

हम बोला, लक्ष्मीजी लोग बाबा का भक्त लोगोंका अनुभव लिखना चाहता है, आप का बेहेन का घर जानेसे, कुछ अनुभव मिलेगा, बोला।ओ उनका फ़ोन नंबर दिया।

बस, हम वहा से निकल रहा था। ओ लोग बोला” रुको, थोड़ा चाय थो पीके जाना” बोला। हम चाय पीके निकलगाय वहा से।

हम लोग थोड़ा फल मंगाया, हमारा बच्चे लोग लाया। उनको दिया। उनको धन्यवाद बोला। उनका साथ फोटोज भी उठाया।

लगभग थींन घंटा हम वहा पर था।हम पूछा, एसा कोई लोग आता है क्या? ओ लोग बोला, कभी, कभी आता है।

बहुत खोज, खोज करके हम नाना साहेब का घर देखा।बाबा का बहुत बड़ा परीक्षा था ये वाला।

बस,हम खाने केलिए जागा खोज रहा था। 80 km आगया।एक जगा में डाभा खाली था।वहा भेट के खाया।हमारा भूक थो नई था। किन्तु मन मे बहुत आनंद था।

सब कोई खाना खाया।फिर भी बहुत बच गया।वहा का लोगोंको देदिया। किन्तु ओ इंस्पेक्टर दिया हुआ डब्भ हम सब एक, एक लेलिया, याद रखने केलिए।

दूसरा दिन हम उनका दीदी का घर गया।हम बोला, कल आप का भाई से मिलके आया, बोला।थो ओ बोली “हा, ओ भी फ़ोन किया था आज आपलोग, आएगा बोलके”। ओ हमे नडिया का लड्डू दिया, बोली उनका पुराना घर को,बाबा अथा था, उनका सास बाबा को बहुत मानती थी, सामने एक मस्जिद है, वहा बाबा अथा था,” बोली।

हमारा सब कोई उनका घर गया,उनको देखा, धन्यवाद करके आगया।

यदि हम यहा नई अथा, जामनेर लीला, कभी समझ मे नई अथा।ये हमारा जामनेर लीला है।

“सर्वम साईनाथरपन मस्तु”

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