Sai Baba ... Sai Baba ... Sai Baba ... Sai Baba (click here)
Those who chant my name repetedly, I will protect them always...Sai Baba
Voice support by: Mrs. Madhavi
“ॐ साई राम” सभी साई भक्तोंको ।
अभी जो बाबा लीला आप लोगोंका साथ शेयर कर ने जा रही हु,ओ बहुत सुंदर,अद्भुत लीला है। जरूर सृन ना।
ओ भी रवि कुमार जीवन का ही है। उन्ही का बातोमे आप सुनेंगे।
हैदराबद में चिक्कड़पल्ली में सांभमुर्ती बोलके एक बाबा भक्त थे।
सब कोई उसको “चिक्कड़पल्ली बाबा ” बोलते थे।
ओ श्री एक्कीराल भारद्वाज मास्टर जी का गुरुदेव भी थे।
चिक्कड़पल्ली बाबा साई बाबा का इतना भक्त थे कि ओ आँक बंद करके ध्यान में बॉटने से,उसका सामने जोभी बैठेगा उनको पता चेल जाता था।
भारद्वाज मास्टर जी कभी आके उनका साम ने बैठ नेसे ओ आँख बंद करके बाबा से पूछता था कि” बाबा,इनको इधर क्यों लाया तुम”।बाबा उनका समाधान भी देता था।
भारद्वाज मास्टर जब भी हैदराबाद आत था ,उनसे जरूर मिलता था।
एक बार दिलशुकनागर मे एक होटल(शिवानी) मालिक को पीलिया ( जॉन्डिस) बीमारी हुआ था।उनका घर को शाम्भ मूर्ती जी गया था।
होटल मालिक को बीमारी बहुत बढ़ गया था।डॉक्टर बोला कि,”ओ और नई बचेगा”
शाम्भ मूर्ती जी उनका,मालिक को,उनका माँ को,उनका पत्नी को बोला कि” आज रात को तुम तीन लोगोंको स्वप्न आएगा,में कल फिर तुम्हारा घर आएगा तो,बोलना की स्वप्न में क्या आया?”
दूसरा दिन ओ आया,सब से पूछा कि तुम लोगोंको कल रात को क्या स्वप्न आया है?
ओ लोग बोला कि” बाबा स्वप्न में स्वेता वस्त्र पैन के आया,थोड़ा देर का बाद, बाबा कफनी पिला रंग में परिवर्थन हुआ” बोला।
थींन लोगोंका एकी स्वप्न आया।तब ओ शाम्भ मूर्ती जी बोला कि” तुम्हारा बीमारी बाबा लेलिया,अभी तुम पूरा ठीक होजायेगा” बोला।एसा ही टीक भी होगया होटल का मालिक।
एक दिन ओ एक शिष्य का घर गया, बोला,”एक मास का बाद, में तुम्हारी माँ को अकेला छोड़ के जारहाहु”।
एसा ही ओ टीक एक मास का बाद इस दुनिया को छोड़ के साई बाबा में लीन होगया।
में उस समय हैदराबाद में नई था।दूसरा दिन आगया।उनका अंतेष्टि कार्य को हाजर हुआ।
टीक उस समय मद्यह्न आरती का समय होगया था।सब कोई बोला” तुम आरती गाओ” में बाबा का आरती गाया। बहुत बाबा भक्त गण वहां उपस्थित था।
उनका साथ मेरा एसा अनुबंध था कि,बाबा का मंदिर में जैसा,गुरुवार को,राम नवमी को बीड होता है,एसा ही उनका पास बहुत लोग आते थे।में सब को खाने का व्यवस्था करथा था।
एसा ओ मेरा गुरु समान था।बाबा का आशिर्वाद मुझे इस रूप में मिला था।
“सर्वम साई नाथरपन मस्तु”
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